1. आलम खान के आग्रह और अपनी महत्वाकांक्षा के कारण बाबर ने दिसंबर 1525 ईसवी में पंजाब पर आक्रमण कर उसे आसानी से जीत लिया।
2. इस जीत से उत्साहित होकर उसने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी से टक्कर लेने के इरादे से अप्रैल 1526 ईस्वी में उस पर हमला कर दिया।
3. बाबर के मंसूबे को इब्राहिम लोदी भली बात समझ रहा था और उस से लोहा लेने की तैयारी करने लगा।
4. एक लाख सेना तथा लड़ाकू हथियारों की विशाल वाहिनी लेकर वह दिल्ली से चल पड़ा।
5. उधर बाबर भी सरहिंद और अंबाला से आगे बढ़ा । सब मिलकर उसके अनुयायियों की संख्या 12,000 से अधिक ना थी।
6. इन दोनों की सेनाएं पानीपत के मैदान में आ डटी और दोनों और से शत्रु का सामना करने के लिए मोर्चाबंदी होने लगा।
7. बाबर कुशलता और अनुभवी सेनानायक था उसने अश्वरोहियो तथा तोपखाने के संयुक्त प्रयोग का निश्चय किया।
8. बाबर के सैनिकों की संख्या बहुत कम थी । उसने सैनिकों की सुरक्षा की पूर्ण व्यवस्था कर ली । बाबर ने युद्ध में तुलुग्मा युद्ध प्रणाली को अपनाया।
9. उसके सेना की दाहिनी ओर पानीपत का स्तंभ था ।इसके अतिरिक्त अपने केंद्र की सेना की रक्षा के लिए 700 गाड़ियों की पंक्ति को रस्सी से बनवा कर उसके दाएं बाएं पक्ष को मिला सके।
10. इसके अतिरिक्त बीच-बीच में स्थान बनाकर उसके पीछे सुरक्षित एक एक सैनिक रख दिए जो छुपकर सत्र सेनाओं पर प्रहार कर सकें।
11. बाबर के पास बहुत सी तोपे थी । सेना से दाएं पक्ष का संचालन ही हिमायू तथा ख्वाजा किला को दिया । और बाएं पक्ष का संचालन मोहम्मद सुल्तान मिर्जा तथा मेहंदी ख्वाजा को दिया था।
12. केंद्र में बाबर ने स्वयं रहकर सेना का संचालन किया था। तैमूर सुल्तान दाएं केंद्र में रखा गया । और बाएं में प्रधानमंत्री मियां खलीफा को रखा गया था।
13. इस प्रकार बाबर ने तुलुगमा युद्ध प्रणाली को अपनाया जो उसने उजरेग सरदार शेवानी खां से सीखी थी।
14. इस नीति से शत्रु सेना को दाएं बाएं से गिरकर सामने तथा पीछे से वार किया जाता था।
15. इधर इब्राहिम लोदी भी युद्ध की योजना बनाने लगा लेकिन सामरिक कला में वह बाबर से बहुत पीछे था।
16. उसके पास लगभग 2000 हाथी थे। हाथियों को तोपखाने का सामना करने की शिक्षा नहीं दी गई थी । यह संभावना थी कि तोपखाने की आग से बिगड़ कर वह अपने सैनिकों को रौंद डालेगा।
17. 12 से 19 अप्रैल तक पूरे 1 सप्ताह तक दोनों सेनाएं पानीपत के मैदान में आमने सामने पड़ी रही और कोई युद्ध नहीं हुआ।
18. अंत में 21 अप्रैल 1526 ईसवी को संग्राम शुरू हुआ । जब इब्राहिम लोदी ने अपनी सेना को आक्रमण करने की आज्ञा दे दी।
19. लेकिन युद्ध में दोनों पक्षों की सांसारिक स्थिति में जमीन आसमान का अंतर था । एक ओर निराशाजनित साहस और वैज्ञानिक युद्ध प्रणाली के साधन थे।
20. दूसरी मध्यकालीन ढंग से सैनिकों की भीड़ थी जो भाले और धनुष बाण से सुसज्जित थी । और जो मूर्खतापूर्ण तथा अव्यवस्थित ढंग से जमा हो गई थी।
21. विशालता के कारण इब्राहिम की सेना को चारों ओर से घेर लिया और उस पर तोपखाने की वर्षा शुरू कर दी इब्राहिम के सेना प्राप्त होकर लड़ाई के मैदान से भाग गई।
22. युद्ध के बारे में बाबर ने लिखा है जिस समय संग्राम आरंभ हुआ सूर्य आकाश में चढ़ आया था । और मध्ययाह तक लड़ाई चलती रही।
23. अंत में शत्रु दल छिन्न-भिन्न हो गया और लड़ाई के मैदान से खदेड़ दिया गया।
24. मेरा योद्धा विजयी हुए । अल्ली के प्रताप तथा अनुकंपा से कठिन कार्य मेरे लिए सरल हो गया । और आधे ही दिन में वह शक्तिशाली सेना धूल में मिल गई।
25. इस प्रकार 21 अप्रैल 1526 ई. को बाबर और इब्राहिम लोदी के युद्ध में बाबर विजई हुआ । और इब्राहिम लोदी को बुरी तरह हार का सामना पड़ा । जिसके पश्चात बाबर दिल्ली का सुल्तान बना।
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