1. रेकी एक जापानी अध्यात्मिक स्पर्श चिकित्सा पद्धति है इस चिकित्सा प्रणाली को सर्वप्रथम डॉक्टर  यूसुई ने प्रारंभ किया था।


2. इस चिकित्सा प्रणाली को जानने की प्रेरणा उन्हें अपने छात्रों से मिली थी।

3. ऐसा माना जाता है कि डॉक्टर यूसुई क्यूटो में एक ईसाई स्कूल में प्राध्यापक थे।

4. एक बार उनके छात्रों ने बाइबिल का विवरण सुनाते हुए कहा कि ईसा मसीह अपने हाथ के स्पर्श से रोगियों को स्वस्थ कर दिया करते थे । क्या डॉक्टर युसूई भी वैसा कर सकते हैं ?

5. डॉक्टर युसुई उस समय स्पर्श चिकित्सा करने की विधि नहीं जानते थे अता उन्होंने छात्रों को सही बात बता दी।

6. इसके बाद उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय जाकर धर्म दर्शन शास्त्र में डिग्री प्राप्त की।

7. अपने अध्ययन के साथ ही वह इसाई धर्म शास्त्रों और धर्मगुरुओं से ईसा मसीह द्वारा दी जाने वाली आध्यात्मिक स्पर्श चिकित्सा के बारे में भी जानकारी पांडे का प्रयत्न करते रहे।

8. इस बारे में उन्होंने बौद्ध भिक्षु से भी पूछताछ की क्योंकि भगवान बुध भी रोगियों को अपने इस पर से भला चंगा कर देते थे।

9. अंत में जैन मठ के एक मठाधीश की सलाह पर उन्होंने चीनी और संस्कृत भाषा सीख कर बौद्ध धर्म ग्रंथों का अध्ययन किया।

10. इनमें से एक में उन्हें वह साधना पद्धति मिल गई जिस को पूरा करने के बाद व्यक्ति में रोगियों को अपने स्पर्श से स्वस्थ कर देने की शक्ति आ जाती है।

11. जैन मठाधीश की सलाह के अनुसार वह कोरियामा पर्वत पर गए और 21 दिनों तक इस अध्यात्मिक साधना में लगे रहे उन्होंने इन दिनों उपवास रखा तथा साधना के नियमों के अनुसार ध्यान किया।

12. 21 दिनों बाद उन्हें  आकाश से आती हुई एक ज्योति दिखाई दी हां हां जो उनके मस्तिष्क से आकर टकराई।

13. युसुई उस ज्योति के स्पर्श से मूर्छित हो गए । अचेत अवस्था में उन्होंने रंगों से भरे हुए प्रकाशमय बुलबुले देखें।

14. इन बुलबुलों में प्रतीक थे । इन प्रतीकों द्वारा उन्हें  रेकी सुसंगता तथा उसके प्रयोग का ज्ञान हुआ।

15. इस प्रकार उन्हें रेकी द्वारा रोगियों की चिकित्सा करने की शक्ति प्राप्त हुई।

16. सन 1920 में अपनी मृत्यु से पूर्व उन्होंने 16 लोगों को रेकी चिकित्सा करने की दीक्षा दी।

17. आज इसका प्रचार संसार के सभी प्रमुख देशों में हो चुका है । भारत में भी रेकी चिकित्सा करने वाले डॉक्टर हैं।

18. रेकी का अर्थ ईश्वरिए या ब्रह्मांड की शक्ति होता है । यह शक्ति रेकी मास्टर अपने शिष्यों को उनके शरीर में स्थित चक्र को जागृत करके प्रदान करता है।

19. चक्रों के जागृत हो जाने के बाद शिष्यों को रेकी शक्ति प्राप्त करने और रोगियों की चिकित्सा करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।

20. इस चिकित्सा पद्धति में रेकी चिकित्सक ब्रह्मांड की उर्जा को आकाश से ग्रहण कर रोगी के शरीर के कुछ निश्चित स्थानों पर अपनी हथेलियां रखता है।

21. कुछ रेकी चिकित्सक अपनी हथेलियों को रोगी के शरीर से एक 1 1 फीट से 4 फीट तक दूर रहकर भी चिकित्सा करते हैं।

22. यद्यपि रेकी आध्यात्मिक स्पर्श चिकित्सा को सरकारों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है फिर भी सैकड़ों लोग इससे लाभ उठाते हैं।

23. या चिकित्सा कुछ लोगों के लिए लाभदायक सिद्ध होती है और कुछ पर प्रभावहीन होती है।

24. अभी तक वैज्ञानिक रूप से इसके बारे में कोई प्रमाणिक तथ्य एकत्रित नहीं किए गए हैं और ना ही कोई वैज्ञानिक प्रयोग हुए हैं।

25. इस सब के बावजूद भगवान बुद्ध द्वारा भारतीय योग की प्राण चिकित्सा पर आधारित रेकी आध्यात्मिक चिकित्सा जनसाधारण में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाती जा रही है।

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