1. कुतुबुद्दीन ऐबक का मुख्य कारण अपने स्वतंत्र अस्तित्व को स्थापित करना था। उसने कौशल और कूटनीति से कार्य किया।
2. उसने अपने तर्कों सरदारों को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए मना लिया। संभवतया इसी कारण उसे सिंहासन पर बैठने में कुछ समय लगा।
3. अपनी स्थिति को दृढ़ करने के आशय से ही उसने अपनी पुत्री का विवाह इल्तुतमिश से और अपनी बहन का विवाह नसीरुद्दीन कोबाजा से किया।
4. संभवत कोबाजा ने उसे से दिल्ली का सुल्तान स्वीकार कर लिया।
5. परंतु यिलदिज की तरफ से खतरा रहा । इस कारण ऐबक सर्वदा लाहौर में रहा । उसे दिल्ली में रहने का अवसर कभी न मिल सका।
6. सुल्तान गयासुद्दीन ने यिल्दिज को दासता से मुक्त करके गजनी का शासक स्वीकार कर लिया था।
7. ख्वारिज्म शाह के दबाव के कारण यिलदिज को गजनी छोड़ने के लिए बाद होना पड़ा । उसने पंजाब पर आक्रमण किया।
8. गजनी का शासक होने के नाते वह भारत के 20 राज्य को अपने अधिकार में मानता था।
9. ऐबक ने उसका विरोध किया और युद्ध में परास्त करके पंजाब को छोड़ने के लिए बाद किया।
10. परंतु गजनी और समय आरक्षित था और संभव था कि ख्वारिज्मी खां उस पर अधिकार कर लेता । गजनी के नागरिकों ने ऐबक को आने के लिए निमंत्रण दिया । और ऐबक ने आगे बढ़कर गजनी पर अधिकार कर लिया।
11. परंतु गजनी के नागरिक उससे संतुष्ट ना रह सके । और उन्होंने यिल्दीज को आने का निमंत्रण दिया। यिल्दिज के अचानक गजनी की सीमा पर पहुंच जाने के कारण ऐबक केवल 40 दिन पश्चात ही गजनी को छोड़ने के लिए बाध्य हुआ।
12. इस प्रकार एबक का गजनी का अभियान सफल होते हुए भी स्थाई लाभ का ना रहा । परंतु यिल्दिज भी उसके भारत के राज्य करने के अधिकार करने में असमर्थ रहा।
13. कुतुबुद्दीन ऐबक ने स्वतंत्र अस्तित्व को स्थापित करने में सफलता प्राप्त कर ली।
14. बंगाल के दूरस्थ इक्ता ने भी ऐबक को परेशान किया । मोहम्मद बख्तियार खिलजी के हत्यारे अली मर्दन खान को खिलजी सरदारों ने कैद कर लिया था।
15. और उन्होंने मोहम्मद सिराको इस शर्त पर गद्दी पर बैठाया था कि वह दिल्ली की अधीनता स्वीकार नहीं करेगा। इस कारण आरंभ में बंगाल एक स्वतंत्र राज्य बन गया।
16. परंतु अली मर्दन खान कैद से भागकर एबक के पास पहुंचा । ऐबक ने उसे बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया और उसने वादा किया कि वह ऐबक के अधीन रहेगा तथा वार्षिक कर देगा।
17. परंतु खिलजी सरदार ने इस प्रबंध को मानने के लिए तैयार नहीं थे । ऐबक के सरदार कैमआज रुमी ने निरंतर प्रयास किया । और युद्ध के पश्चात ही अली मर्दन खान को बंगाल का सूबेदार बनाया जा सका।
18. अली मर्दन खान के बंगाल के सूबेदार बनने के बाद ही बंगाल दिल्ली सुल्तान के अधीन हो गया।
19. ऐबक को राजपूतों की ओर ध्यान देने का अवसर नहीं मिला और ना वह समराज विस्तार की नींद को अपना सका।
20. इसके विपरीत राजपूतों ने कुछ स्थानों को उससे छीन लिया और ऐबक ने उन्हें पुनः जीतने का प्रयास ना कर सका।
21. कुतुबुद्दीन ऐबक को भारत में तुर्की राज्य का संस्थापक माना गया है । मोहम्मद गौरी की भारत विजय में एबक उसका सबसे बड़ा सहायक था।
22. गौरी की अनुपस्थिति में उसी ने उसकी विजयों को सुरक्षित एवं संगठित किया । तथा उसकी मृत्यु के पश्चात उसके भारतीय राज्य को गजनी के आधिपत्य से मुक्त करके एक स्वतंत्र राज्य करने का प्रयत्न किया।
23. उसने ना तो तुर्की सरदारों को अपने साथ और अधिपत्य में लेकर उसने दिल्ली के तुर्की राज को एकता प्रदान की और दिल्ली सल्तनत को आरंभ किया।
24. परंतु ऐबक की सबसे बड़ी योग्यता उसका एक कर्मठ सैनिक और योग्य सेनापति होना था।
25. वह एक साहसी और अनुभवी सेनापति था । मोहम्मद गौरी की भारतीय विषयों का अधिकांश श्रेय उसी को था।
26. चोगाने के खेल में घोड़े से गिर जाने के कारण 1210 ईस्वी में उसकी मृत्यु हो गई । उसे लाहौर में दफनाया गया और उसकी कब्र को एक साधारण स्मारक बना दिया गया।
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