भारत एक विशाल देश है इसमें हजारों डाकघर हैं ।जो घर-घर में पत्रों के वितरण की सुविधा प्रदान करते हैं ।इसके साथ ही हमारे देश में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। तथा इन भाषाओं को लिखने के लिए विभिन्न लिपियां प्रयोग में लाई जाती हैं। इसी कारण डाक विभाग के लोगों को पत्रों पर लिखे पतों को पढ़ने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस कठिनाई से छुटकारा पाने के लिए एक व्यवस्था बनाई गई । इस व्यवस्था को पिन कोड प्रणाली कहते हैं। पिन शब्द अंग्रेजी के 3 अक्षरों पी (P) आई (I) और एन (N) को प्रदर्शित करता है। इन अक्षरों का विस्तृत रूप पोस्टल इंडेक्स नंबर ( postal index number ) है। इस प्रणाली के अनुसार समस्त भारत को 8 डाक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक क्षेत्र को छोटे वर्गों में बांटा गया है। पिन कोड प्रणाली में 6 अंक होते हैं ।प्रत्येक अंक का अपना एक विशेष अर्थ है ।और वह एक विशेष सूचना प्रदान करता है। बाई और का प्रथम अंक डाक क्षेत्र को प्रदर्शित करता है। और इसके बाद के दूसरे और तीसरे अंक उप क्षेत्र को प्रदर्शित करते हैं ।इस प्रकार पहले तीन अंक मिलकर छटाई करने वाले जिले को दिखाते हैं । दाएं और के 3 अंक उस जिले के उस डाकघर को दिखाते हैं। जो किसी पत्र विशेष का वितरण करेगा। इस प्रकार यह 6 अंक एक साथ मिलकर वितरण डाकघर को दिखाते हैं। डाकघर पिन कोड प्रणाली के अंतर्गत भारत को निम्नलिखित क्षेत्र में बांटा गया है।
क्षेत्र नंबर 1 . इस क्षेत्र में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब ,चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर आते हैं।
क्षेत्र नंबर 2. इसमें उत्तर प्रदेश आता है।
क्षेत्र नंबर 3. इसमें राजस्थान, गुजरात दमन और दीव तथा दादरा नगर हवेली आते हैं।
क्षेत्र नंबर 4 . इसमें महाराष्ट्र गोवा और मध्य प्रदेश आते हैं।
क्षेत्र नंबर 5 . इसमें आंध्र प्रदेश और कर्नाटक आते हैं।
क्षेत्र नंबर 6. इसमें तमिल नाडु, केरल ,और लक्षदीप �
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