मंगल ग्रह प्रतिवर्ष एक या दो माह के लिए स्पष्ट दिखाई देता है। सभी ग्रहों में केवल शुक्र को छोड़कर इस की चमक सबसे अधिक है। इस ग्रह का अध्ययन करने के लिए मानव बहुत से अंतरिक्ष यान इसकी और भेज चुका है ।इन यानो ने इस ग्रह के विषय में अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं ।सन 1976 में वाइकिंग फर्स्ट और वाइकिंग सेकंड यानो द्वारा इस ग्रह के वायुमंडल के विषय में बहुत से महत्वपूर्ण तथ्यों का पता चला ।इस ग्रह के वायुमंडल में एक से 2% आर्गन, दो से तीन प्रतिशत नाइट्रोजन, 95% कार्बन डाइऑक्साइड और 0.3% ऑक्सीजन है ।इसके वायुमंडल में कुछ जलवाष्प की मात्रा भी है।
मंगल ग्रह के वायुमंडल का घनत्व हमारी धरती के वायुमंडल के घनत्व का केवल 1% है ,इसी कारण इस ग्रह पर विशाल तापमान परिवर्तन होते रहते हैं। कभी-कभी इस ग्रह पर बादल भी दिखाई देते हैं ।मंगल ग्रह की सतह चमकीले और काले क्षेत्रों से ढकी हुई है। यह क्षेत्र अपना आकार निरंतर बदलते रहते हैं। इस पर बहुत से चटाने हैं जो लाल रंग के रेगिस्तान से ढकी हैं। इन रेगिस्तान की धूल में लाइमोनाइट नामक खनिज होता है जो धरती के रेगिस्तान में भी है। धूल में लाल रंग का आयरन ऑक्साइड भी होता है ।मंगल ग्रह की सतह पर धूल भरे तूफान आते रहते हैं। इन तूफानों में वायु का वेग 400 किलोमीटर प्रति घंटा तक चला जाता है ।तूफानों में धूल ऊपर उठती रहती है। जबकि मंगल पर गुरुत्व बल काफी कम है इसलिए धूल के बादल हफ्तों वायुमंडल में टंगे रहते हैं। वायुमंडल में टंगे धूल के कणों और इसके लाल सतह के कारण यह ग्रह लाल दिखाई देता है। सन 1977 में अमेरिका द्वारा छोड़ा गया मानवरहित अंतरिक्ष यान द पथ फाइंडर मंगल ग्रह पर उतरा था। इसका उद्देश्य मंगल की सतह पर लगभग 1 वर्ष तक घूम कर सभी प्रकार की सूचनाएं इकट्ठा करना, वहां के फोटोग्राफ भेजना तथा वहां की चट्टानों को अपने साथ लाना था ।अभी तक प्राप्त हुई जानकारियों तथा चित्रों से वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि मंगल पर कभी जीवन था। मैरीनर नामक खोजयानो ने मंगल ग्रह के गड्ढों वहां पर आने वाले तूफानों और उसके चंद्रमाओ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी हैं।
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