Artical Of Panch Varsiye Yojna - पंचवर्षीय योजना का आलेख

स्वतंत्रता के बाद देश की आर्थिक समस्याओं के सुनियोजित समाधान तथा देश को आर्थिक दृष्टि में सम्मृध बनाने के लिए हमारे आर्थिक चिंतकों तथा  राजनेताओं ने महसूस किया कि लंबी अवधि की योजनाएं बनाई जाएं । और उनके आधार पर विकास के कार्यक्रम चलाए जाएं इसके लिए मार्च 1950 में एक योजना आयोग  बनाया गया । जिसका मुख्य काम देश में उपलब्ध संसाधनों के अधिकतम उपयोग के उपाय खोजना निर्धारित किया गया । 

अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए वह आज तक पंचवर्षीय योजनाएं तैयार करता आ रहा है । तथा इन्हीं से हमारे देश ने काफी तरक्की की है । पंचवर्षीय योजनाओं में देश के विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं । इनमें से अधिकांश को 5 वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा जाता है । इन योजनाओं की रूपरेखा देश के बहुमुखी विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाती है । इन योजनाओं के अंतर्गत सामाजिक और आर्थिक विकास पर मुख्य ध्यान दिया जाता है । इनके अंतर्गत देश में पुलों का निर्माण , सड़कों का निर्माण , बांध बनाना , नए कारखाने लगाना आ जाते हैं । कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी भी योजनाओं का एक मुख्य उद्देश रहा है । 

किसी भी पंचवर्षीय योजना में विभिन्न लक्ष्यों को निर्धारित करके उनकी प्राथमिकता भी निश्चित की जाती है । तथा उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने पर बल दिया जाता है । नियोजित विकास के फल स्वरुप उत्पादित वस्तुओं और उनसे संबंधित अर्जित लाभ का नियोजित वितरण करना भी इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य है । इन योजनाओं के अंतर्गत बिजली का उत्पादन और सिंचाई ववस्था की जाती हैं । अब तक हमारे देश में 8 पंचवर्षीय योजनाएं पूरी हो चुकी हैं प्रथम पंचवर्षीय योजना अप्रैल 1951 से आरंभ होकर 31 मार्च 1956 को पूरी हुई थी । इस योजना में 778 करोड रुपए की धनराशि कृषि कार्य के लिए निर्धारित की गई थी ।

 दूसरी पंचवर्षीय योजना सन 1956 से सन 1961 तक चली । तीसरी पंचवर्षीय योजना 1961 से 1966 तक , चौथी सन 1969 से 1974 तक , पांचवी सन 1974 से 1979 तक , और छठी सन 1980 से 1985 तक चली । तीसरी और चौथी योजनाओं के बीच सन 1966 से 1969 तक एक अल्पकालीन आंतरिक योजना पर काम किया गया । क्योंकि देश की राजनीतिक स्थितियां कुछ ऐसी थी की पंचवर्षीय योजना तैयार नहीं हुई । इसी प्रकार सन  1979 से 1980 में भी 1 वर्ष की एक विकास योजना पर ही काम किया गया । सातवीं पंचवर्षीय योजना 1985 से 1990 तक आठवीं 1992 से 1997 तक चली , सातवीं पंचवर्षीय योजना में मुख्य बल कृषि उत्पादन तथा औद्योगिक विकास पर दिया गया ।

 आठवीं पंचवर्षीय योजना में नियंत्रित और केंद्र में संचालित पुरानी आर्थिक नीति में महत्वपूर्ण सुधार कर उसे उदार और लचीला बनाया गया । विश्व की बढ़ती हुई प्रतियोगिता पूर्ण आर्थिक परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए विदेशी कंपनियों तथा भारत की निजी कंपनियों के सहयोग को अधिक बल दिया गया । सन 1998 में शुरू होने वाली नवी पंचवर्षीय योजना प्रारंभिक स्वास्थ्य , शिक्षा , पीने का शुद्ध जल , सड़क रोजगार , और जल वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने पर ध्यान दिया गया । इसका दूसरा लक्ष्य कृषि में लगाए जाने वाली पूंजी को बढ़ावा देना रखा गया ।

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