मेट्रिक प्रणाल माप इकाइयों का एक ऐसा समूह है , जिसके द्वारा लंबाई , द्रव्यमान , समय , तापमान , विद्युत धारा आदि भौतिक राशियों को मापा जाता है । आज संसार के लगभग सभी देश भौतिक राशियों को मापने के लिए इस प्रणाली को प्रयोग में लाते हैं । अतः इसे अंतरराष्ट्रीय मापक प्रणाली के नाम से भी पुकारा जाता है । कुछ शताब्दियों से ही माप की दो पद्धतियों को ही अधिक प्रचलित किया गया है । इनमें से एक मेट्रिक प्रणाली है जिसका प्रयोग यूरोप के देशों में होता रहा है । और दूसरा ब्रिटिश प्रणाली है जिसका प्रयोग ब्रिटेन या उसके अधीन देशों द्वारा होता रहा है । मेट्रिक प्रणाली में मीटर लंबाई की इकाई है जबकि ब्रिटिश प्रणाली में लंबाई की इकाई गज है । इसी प्रकार मेट्रिक प्रणाली में द्रव्यमान को किलोग्राम में मापा जाता है लेकिन ब्रिटिश प्रणाली में इसे पाउंड में मापा जाता है । आज लगभग सभी देशों में ब्रिटिश माप के मापों के स्थान पर मैट्रिक के तरीकों को अपनाया जाता है । मेट्रिक प्रणाली के दो लाभ हैं । पहला लाभ यह है कि दशमलव प्रणाली पर आधारित है । इसमें कोई भी ईकाई 10 के द्वारा बढ़ती है या घटती है । उदाहरण के लिए 1 मीटर में 10 देसी मीटर होते हैं । इसी तरह 1 देसी मीटर में 10 सेंटीमीटर और 1 सेंटीमीटर में 10 मिलीमीटर होते हैं । ब्रिटिश प्रणाली में इकाइयां किसी विशेष क्रम में नहीं घटती बढ़ती हैं । 1 गज में 3 फुट होते हैं और 1 फुट में 12 इंच होते हैं । दशमलव के कारण मेट्रिक प्रणाली का प्रयोग में लाना बहुत आसान है । इसमें केवल 7 इकाइयां हैं जो सभी प्रकार के माप के लिए इस्तेमाल होती हैं । जबकि ब्रिटिश प्रणाली में 20 से भी अधिक मौलिक इकाइयां हैं । मेट्रिक प्रणाली का विकास 1790 के दौरान फ्रांस के वैज्ञानिक द्वारा किया गया था । अब प्रश्न उठता है कि मेट्रिक प्रणाली की माप 7 राशियां और मानक क्या है ?
इस प्रणाली में दूरी का मानक मीटर है , द्रव्यमान का मानक किलोग्राम , समय का मानक सेकंड , तापमान का मानक डिग्री केल्विन , विद्युत धारा का मानक एंपियर , प्रतिदीप्त का मानक केडला और रासायनिक क्रियाओं में पदार्थों की मात्रा मापने का मानक मॉल है ।1. मीटर जो दूरी मापने की मूल इकाई है ब्रिटिश प्रणाली के गज से कुछ लंबा है । छोटी दूरियां सेंटीमीटर या मिलीमीटर में मापी जाती है । जबकि बड़ी दूरियां दो शहरों के बीच की दूरी किलोमीटर में मापी जाती है । 1 किलोमीटर में 1000 मीटर होते हैं । आरंभ में फ्रांस के वैज्ञानिकों ने पेरिस से गुजरती हुई उत्तरी ध्रुव और विषुवत रेखा के बीच की दूरी के एक करोड़वे भाग को 1 मीटर माना था । इस दूरी के आधार पर प्लेटिनम धातु की एक क्षण मानक रूप में बनाई गई । सन 1889 में इस छड को प्लैटिनम इरीडियम मिश्र धातु से बना लिया गया । सन 1960 में मीटर की परिभाषा बदल दी गई । इस वर्ष क्रिप्टन– 86 के परमाणु से निकलने वाली नारंगी रंग की तरंगधैर्य की 1650763.73 तरंगधैर्य की दूरी को 1 मीटर मानक के रूप में स्वीकार किया गया । इस दूरी को अब अंतरराष्ट्रीय मानक रूप में ले लिया गया है।
2. किलोग्राम द्रव्यमान की मौलिक इकाई है जो 2.2 पाउंड के लगभग है । ग्राम का प्रयोग छोटे द्रव्यमान को तोलने के लिए किया जाता है । जबकि भारी वस्तुओं को तोलने के लिए मेट्रिक टन जो 1000 किलोग्राम के बराबर का है प्रयोग में लाया जाता है।
3. सेकंड समय की मूल इकाई है । आरंभ में औसत सौर दिवस के 1/86400 भाग को एक सेकंड माना गया था। सन 1955 में इसे बदल दिया गया । और सन 1900 के समय का 1/31556925.9747 को एक सेकंड का दर्जा दिया गया । सन 1967 में परमाणु घड़ी के विकास के बाद परमाणु सेकंड को समय के मानक रूप में विश्व भर में स्वीकार किया गया।
4. तापमान की इकाई केल्विन है । अधिकतर लोग तापमान मापने में केल्विन के स्थान पर डिग्री सेल्सियस प्रयोग करते हैं यद्यपि 1 डिग्री सेल्सियस 1 डिग्री केल्विन के बराबर होता है।
5. विद्युत धारा को मापने की मूल इकाई एंपियर है। 1 एंपियर विद्युत धारा है जो 1 मीटर की दूरी पर निर्वात में रखे दो समांतर तारों के बीच विद्युत प्रवाह से 2×10(10) न्यूटन प्रति मीटर का बल पैदा करती है।
6. प्रदीप की इकाई केडला है । एक केडलआ उस ब्लैक बॉडी को प्रदीप्ति है जिसका क्षेत्रफल 1/600,000 वर्ग मीटर है तथा जो 242 डिग्री केल्विन तापमान और 101 325 न्यूटन प्रति वर्ग के दाब पर है ।
7. मोल रासायनिक प्रतिक्रियाओं में प्रयोग होने वाले पदार्थों को मापने की इकाई है । इन्हें साथ मूल इकाइयों द्वारा दूसरी भौतिक राशियों को प्रदर्शित किया जाता है।
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