प्राचीन काल से बहुमूल्य पत्थरों के प्रति मानव आकर्षित रहा है । लेकिन यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता है कि इन पत्थरों की खोज किसने की और कब की थी । हजारों वर्ष तक मनुष्य की यह मान्यता रही है कि बहुमूल्य पत्थरों को अंगूठी या गले में पहनने से दूरआत्माओं और रोगों का प्रकोप नहीं होता है । आज भी हम लोग इन्हें अपने जन्म की राशि के अनुसार अंगूठियों में लगवा कर पहनते हैं । क्या तुम जानते हो कि यह बहुमूल्य पत्थर क्या है?
बहुमूल्य पत्थरों में मुख्य रूप से हीरा , माणिक , पन्ना और नीलम आते हैं । कुछ कम बहुमूल्य पत्थर मैं दूधिया पत्थर, बिल्लेरिया एमेथिस्ट और पुखराज आते हैं।
प्राचीन काल में मनुष्य बहुमूल्य पत्थरों की पहचान केवल उनके रंग के आधार पर करता था । सभी लाल रंग के मूल पत्थरों को वह मणिक के नाम से पुकारता था । सभी हरे रंग के पत्थर उसके लिए पन्ना थे । तथा हल्के नीले रंग के पत्थरों को नीलम कहता था । लेकिन आज ऐसे वैज्ञानिक तरीके विकसित कर लिए गए हैं जिनके द्वारा किसी भी पत्थर की पहचान करना आसान हो गया है।
वास्तव में बहुमूल्य पत्थर एक प्रकार का खनिज पदार्थ है। जो प्राकृतिक रूप से चट्टानों से प्राप्त होता है । हीरा आग्नेय चट्टानों से प्राप्त होता है । तलछट चट्टानों से फिरोजा और दूधिया पत्थर प्राप्त होते हैं । मणिक रूपांतरित चट्टान से प्राप्त होता है।
बहुमूल्य पत्थरों को अंग्रेजी भाषा में जैम ( Gem ) कहते हैं। जैम शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के जेमा ( Gemma ) से हुई है जिसका अर्थ है कली । जिस प्रकार एक कली से सुंदर फूल बन जाता है । ठीक उसी प्रकार बहुमूल्य पत्थरों के कुरूप टुकड़ों को काट तथा तलाश कर और पालिश करके सुंदर रुप दिया जा सकता है।
हीरा जो सभी पत्थरों से बहुमूल्य है शुद्ध कार्बन का परिवर्तित रूप है । मणिक और नीलम का स्रोत कोरंडम नाम का खनिज है । मणिक का लाल रंग कोरंडम में बहुत छोटी मात्रा में लोहा मिला होने के कारण होता है । कुछ धातुओं के ऑक्साइड की उपस्थिति से नीलम का रंग हल्का या गहरा नीला हो जाता है । पुखराज और टर्मलिन सिलीकेट समूह के खनिज हैं । ग्रानेट और जेड भी सिलीकेट समूह में ही आते हैं । कुछ पत्थर क्वार्ट्ज समूह में आते हैं । क्वार्ट्ज भी शुद्ध सिलिकेट है लेकिन इसमें 5 से 10% तक पानी होता है।
कुछ जैम खनिजों से प्राप्त नहीं होते हैं । जैसे मोती भी एक जैम है लेकिन यह पत्थर नहीं है बल्कि यह ओयस्टर नामक एक समुद्री जीव द्वारा निर्मित किया जाता है । एम्बर भी इक जैम है जो एक वृक्ष से प्राप्त रेजिन द्वारा बनाया जाता है । मूंगा जो अंगूठियों और हारो में प्रयुक्त होता है समुद्री जीवो द्वारा निर्मित किया जाता है । संगमूसा अश्मीभूत कोयला है।
आज के वैज्ञानिक ने लगभग सभी बहुमूल्य पत्थरों के निर्माण के लिए कृत्रिम विधियों का विकास कर लिया है। इन विधियों से बने सभी पत्थरों में वही पदार्थ होते हैं । जो प्राकृत से प्राप्त बहुमूल्य पत्थरों में होते हैं । उदाहरण के लिए मणिक और नीलम एल्यूमीनियम ऑक्साइड को इंडक्शन भट्टी में मिलाकर बनाया जाता है । इनमें रंग लाने के लिए कुछ दूसरे पदार्थ अल्प मात्रा में मिलाए जाते हैं।
बहुमूल्य पत्थर संसार के लगभग सभी देशों में पाए जाते हैं। किसी पत्थर का मूल्य उसकी दुर्लभता और सुंदरता पर निर्भर करता है । हीरा सबसे बहुमूल्य इसलिए होता है कि यह सबसे कठोर पदार्थ है । तथा इसकी चमक सबसे ज्यादा है । कठोरता और चमक के अतिरिक्त किसी जैम की कीमत उसके रंग तथा मांग पर निर्भर करती है । मणिक कम मात्रा में मिलते हैं अतः उनकी कीमत नीलम से अधिक होती है। अफ्रीका में हीरे की सबसे अधिक खाने हैं । उत्तम श्रेणी का पन्ना रूस की यूराल पर्वत मालाओं में मिलता है । इसके अतिरिक्त पन्ना आस्ट्रेलिया , नार्वे तथा ऑस्ट्रिया में भी मिलता है । माणिक वर्मा में सबसे ज्यादा पाया जाता है। नीलम श्रीलंका , थाईलैंड और कश्मीर से प्राप्त होता है।
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