शायद उन सभी तत्वों में कार्बन सबसे महत्वपूर्ण है जिन का ज्ञान मनुष्य को है । हीरे जैसे बहुमूल पदार्थ कार्बन का ही एक रूप है । लिखने वाली पेंसिलो में भी कार्बन होता है । ऊष्मा और शक्ति के स्रोत कोयले में भी मुख्यता कार्बन ही होता है । इनमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कार्बन जीवन के लिए भी जरूरी है । सभी जीवित प्राणियों के शरीर कार्बन युक्त योगिको से मिलकर बने हैं । वैज्ञानिकों का विश्वास है कि ब्रह्मांड में जहां कार्बन मिलता है जीवन की संभावना केवल वहां ही हो सकती है ।
जीवन कार्बन चक्र के बिना संभव नहीं है । कार्बन चक्र वह प्रक्रम है जिसने जीवित प्राणियों द्वारा प्राकृत से कार्बन प्राप्त किया जाता है । उसे उपयोग किया जाता है और फिर उसे पुनः उसी प्राकृत में भेज दिया जाता है । इस प्रकार प्राकृतिक की प्रतिशत मात्रा निश्चित रहती है । जीवन के लिए आवश्यक कार्बन का मुख्य स्रोत वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस है । इसी गैस को सभी जीवित प्राणियों द्वारा प्राप्त किया जाता है और फिर वापस वायुमंडल में भेज दिया जाता है । जीवन के लिए अवश्यक यह एक निरंतर चक्र है ।
इस चक्र में वायु की सीमित कार्बन डाइऑक्साइड सतत रूप से बार-बार प्रयोग होती रहती है । पेड़ पौधे और पत्तियां वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड गैस लेकर मिट्टी से प्राप्त पानी के साथ उसका संयोग कराके कार्बन कुछ जटिल कार्बन का निर्माण करते हैं । इस प्रकरण के लिए जिसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं । उसी प्रक्रम द्वारा पौधों , जड़ों तनों और पत्तियों का निर्माण होता है । इस प्रकरण से ली गई कार्बन डाइऑक्साइड को पौधे दो प्रकार से वायुमंडल में वापस भेजते हैं। एक तरीके से रात्रि को कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं दूसरे तरीके से जब ये मृत हो जाते हैं तो सड़ने पर उनसे कार्बन ऑक्साइड पैदा होती है । सभी जीव जंतु से कुछ ना कुछ मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं।
उनको यह अधिकतर पेड़ पौधों को खाने से या पेड़ पौधों खाने वाले जंतुओं को खाने से प्राप्त होता है । कार्बन के कुछ यौगिकों को खाया भी जाता है वह पेट में जाकर पचजाते हैं । जिससे जीवन के लिए जरूरी ऊर्जा मिलती है । सभी जीव सांस लेने की प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं । मरने के बाद प्राणियों से भी कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होती है । वनस्पतियों और जंतुओं के क्षय होने से कोयला , तेल प्राकृतिक गैस जैसे ईंधन का निर्माण होता है । जब इन ईधनों को जलाया जाता है तो इनके जलने से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड जाती है । इस प्रकार समस्त जीव जगत वायुमंडल की कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करता रहता है । और यह कार्बन चक्र निरंतर चलता रहता है ।
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