1.लेथ कार्यशाला में प्रयोग होने वाली एक बहुत ही महत्वपूर्ण मशीन है । इसका प्रयोग लकड़ी , धातु और प्लास्टिक को विभिन्न आकार देने के लिए प्रयोग की जाती है।
2. इसकी सहायता से चूड़ियां भी काटी जा सकती हैं। जो नेट बोल्ट में प्रयोग की जाती हैं।
3. लेथ मशीन में एक विद्युत चलित मोटर लगी होती है जिस की गति को कम या अधिक किया जा सकता है।
4. इस मोटर का संबंध एक चक के साथ लगा होता है। जब मोटर घूमती है तो चक भी घूमता है।
5. वर्कपीस को चक में लगा दिया जाता है। इस घूमते हुए वर्कपीस के पास एक काटने वाला टूल लाया जाता है।
6. यह टूल लेथ के हेड में फिट कर दिया जाता है । यह टूल वर्कपीस से पदार्थ को तब तक काटकर अलग करता रहता है जब तक कि वंचित रूप में प्राप्त न हो जाए।
7. काटने वाले टूल को कई दिशाओं में घुमाया जा सकता है। इसे ऊपर नीचे किया जा सकता है तथा आगे पीछे भी किया जा सकता है।
8. लेथ मे खिसकने वाला एक टेलस्टॉक होता है जो वर्कपीस के केंद्र स्थापित करने के काम आता है।
9. इसी टेलस्टॉक के साथ ड्रिल बिट लगाकर वर्कपीस में छेद भी किया जा सकता है।
10. लेथ मशीन इतनी सही काम करती हैं कि काटने और रूप देने की क्रियाएं 1 सेंटीमीटर के हजारवें भाग तक ठीक ठीक कर सकती हैं।
11. सबसे अधिक प्रयोग में आने वाली लेथ को सेंटर लेथ या इंजन लेथ कहते हैं।
12. एक दूसरे प्रकार की प्रसिद्ध लेथ को टरेट लेथ कहते हैं। काटने के लिए टरेट में 6 टूल लगाए जा सकते हैं। इसका लाभ यह है कि मशीन को बिना बंद किए अलग-अलग टूलो का प्रयोग किया जा सकता है।
13. इस मशीन का दूसरा लाभ यह है कि एक बार टूल को समायोजित करके बहुत से वर्कपीस काटे जा सकते हैं।
14. जब इस प्रकार कई हजार क्रियाओं की आवश्यकता होती है तो कई स्पंडलो वाली मशीन प्रयोग की जाती है।
15. इस प्रकार की लेथ में काटने की छह विभिन्न प्रक्रियाएं 6 वर्कपीस पर एक साथ की जा सकती है।
16. लेथ का विचार प्राचीन काल से ही मानव के मन में रहा है। इसका विचार संभवत कुम्हार के चाक से पैदा हुआ।
17. सन 1800 के आसपास तक बनी लेथ मशीन बहुत से दृष्टिकोण से अपूर्ण थी। इनसे केवल कुछ ही कार्य हो सकते थे।
18. इनसे चूड़ियां नहीं काटी जा सकती थी सन 1800 के आसपास इंग्लैंड के हेनरी मोडस्ले ने प्रथम चूड़ी काटने वाली मशीन का आविष्कार किया।
19. सन 1873 में अमेरिका के सी.एम कैप्सलर ने पूर्णतया स्वचालित लेथ मशीन का आविष्कार किया।
20. सन 1900 तक संख्यात्मक नियंत्रित स्वचालित लेथ मशीन विकसित हो चुकी थी । इनमें चुंबकीय टेंपो का प्रयोग किया जाता था।
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