1. अंतरिक्ष में किसी बड़े खगोलीय पिंड के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में परिक्रमा करने वाले एक छोटे पिंड को उपग्रह कहते हैं।
2. उपग्रह दो प्रकार के होते हैं प्राकृतिक उपग्रह तथा कृत्रिम उपग्रह।
3. हमारी धरती सूर्य का एक प्राकृतिक उपग्रह है। इसी प्रकार सौर परिवार के दूसरे ग्रह भी सूर्य के उपग्रह हैं। क्योंकि यह सभी सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
4. चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है क्योंकि यह पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
5. नवग्रह में से बुध और शुक्र को छोड़कर सभी शेष सात ग्रहों के अपने अपने उपग्रह हैं।
6. बड़े ग्रहों के छोटे ग्रहों की तुलना में अधिक उपग्रह होते हैं। बृहस्पति के 14 सनी के 10 और यूरेनस के 5 उपग्रह हैं।
7. मंगल और नेप्चून के दो –दो उपग्रह हैं । पृथ्वी और प्लूटो का एक– एक उपग्रह है।
8. कृत्रिम उपग्रह मानव निर्मित उपग्रह है। जिसको धरती पर निर्मित करके राकेट की सहायता से पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाता है।
9. स्प्तुनिक–1 प्रथम कृत्रिम उपग्रह था । जिसको रूस द्वारा 4 अक्टूबर 1957 को छोड़ा गया था।
10. तब से अब तक विभिन्न देशों द्वारा विभिन्न कार्यों के लिए 15 सौ से अधिक कृत्रिम उपग्रह छोड़े जा चुके हैं।
11. इन उपग्रहों में संचार उपग्रह , वैज्ञानिक उपग्रह , संचालन उपग्रह तथा मौसम संबंधी उपग्रह मुख्य हैं।
12. मौसम संबंधी उपग्रह वे उपग्रह हैं जिनसे मौसम संबंधी तथ्यों का विस्तृत रूप से अध्ययन किया जाता है।
13. मौसम उपग्रह धरती से सैकड़ों मिल की ऊंचाई पर ही परिक्रमा करते हैं। वह तापमान तथा वायु में भी नमी की मात्रा मापते हैं।
14. बादल क्षेत्रों की तस्वीर लेकर वे टेलीविजन द्वारा पृथ्वी की और भेजते हैं। इससे आने वाले तूफान और चक्रवातो का पहले ही पता लग जाता है।
15. कैसे प्राप्त सूचनाओं के आधार पर लोगों को आने वाले खतरों से आगाह करके उनकी रक्षा की जा सकती है।
16. विनगार्ड–2 प्रथम मौसम संबंधी उपग्रह था जिसको 17 फरवरी 1959 को अंतरिक्ष में भेजा गया था।
17. 1 अप्रैल 1960 को टायरोस–1 मौसम संबंधी उपग्रह छोड़ा गया था। यह वास्तव में पृथ्वी के वायुमंडल के विस्तृत चित्र लेता था।
18. नवंबर 1960 को टायरोस–2 छोड़ा गया । यह पृथ्वी से आने वाले अवरक्त किरणों को मांपता था तथा मौसम संबंधित चित्र लेता था।
19. 12 जुलाई 1961 को टायरोस–3 जैसा प्रथम उपग्रह छोड़ा गया जो अंधमहासागर में आने वाले तूफानों की सूचना दे सकता था।
20. इससे यह संभव हो पाया कि तूफानों के रास्ते में आने वाले लोगों को सावधान किया जाने लगा।
21. इसके बाद इस श्रंखला में और भी बहुत से मौसम संबंधी उपग्रह छोड़े गए जो अंतरिक्ष में तापमान और इलेक्ट्रॉन घनत्व को माप सकते थे।
22. सन 1965 में टायरोस–10 छोड़ने के बाद इस श्रंखला का अंत हो गया।
23. एस्सा और निम्बस नामक उपग्रह की श्रंखला शुरू हुई। निंबस–1 से डोरा नामक चक्रवात का पता लगाया गया।
24. 15 मई 1966 को छोड़े गए निम्बस–2 ने पृथ्वी के ऊष्मा संतुलन की माप की थी।
25. सन 1966 तक अमेरिका ने विस्तृत मौसम उपग्रह प्रणाली विकसित कर ली थी । जो संसार के समस्त मौसम केंद्रों को सूचना प्रदान करती थी।
26. मिटियोर उपग्रहों द्वारा रूस ने भी एक ऐसी प्रणाली विकसित कर ली थी । और उसके उपग्रहों से बादलों के वितरण , बादलों के समूहों का रंग , वायु की दिशा और वायु की नमी तथा बादलों की गहराई की संरचना के विषय में सूचनाएं प्राप्त होती थी।
27. विश्व भर की सूचना प्राप्त करने के लिए अधिकतम मौसम संबंधी उपग्रहों को 800 से 1000 किलोमीटर की मध्यम ऊंचाई की ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया जाता है।
28. मौसम संबंधी उपग्रह तूफानों , बाढ़ और आग लगने की पूर्व सूचना दे देते हैं। जिससे जानमाल की हानि को रोका जा सकता है।
29. मौसम संबंधी तकनीकों में एस.एम.एस प्रणाली का हाल ही में विकास हुआ है। इस प्रकार के उपग्रह सिंक्रोनस कक्षा में भूमध्य रेखा के ऊपर स्थापित कर दिए जाते हैं । यह प्रत्येक 30 मिनट में धरती के 1 स्थान का अवलोकन करते हैं।
30. गुब्बारों , उपग्रहों और वायुयानों की सहायता से एकत्रित की गई अधिक से अधिक जानकारी को कंप्यूटर की सहायता से पढ़कर वायुमंडल के विषय में अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त किया जा रहा है।
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