आज हम बात करेंगे बोलोमीटर के बारे में जो एक ऐसा यंत्र है जिसके माध्यम से किसी भी प्रकार के तापमान को मापने में काफी आसानी होती है। तथा उसके न्यूनतम अंक तक माप ज्ञात करने में इससे मदद मिलती है। हम विभिन्न तकनीकी क्रियाकलापों में तापमान को मापने का प्रयोग करते हैं। इन सभी क्रियाओं में इस यंत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह यंत्र जल , थल , वायु तथा अंतरिक्ष के विभिन्न घटनाओं को समझने में मानव के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है।
1.बोलोमीटर एक ऐसा यंत्र है जो विकरणो के तापमान को मापने के लिए काम आता है।
2. यह एक प्रकार का प्रतिरोध सेतू ( रजिस्टेंस ब्रिज ) होता है जिससे तापमान मापते हैं।
3. इसमें धात की एक काली पत्ती लगी होती है इस काली पत्ती पर विक्रण पढ़ते हैं।
4. जिससे इसका तापमान बढ़ जाता है। इसी वृद्धि को यह यंत्र मापता है।
5. इस यंत्र का आविष्कार अमेरिका के एस.पी लेंगले ने शन 1880 में किया था।
6. शुरुआत में इस यंत्र में एक व्हीटस्टोन ब्रिज प्रयोग किया गया था । जिसमें केवल एक गैल्वेनोमीटर लगा था।
7. इस गैल्वेनोमीटर का विक्षेपण विकिरण की तीव्रता के समानुपाती था।
8. तब से अब तक कई तापीय प्रक्रम विकसित हो चुके हैं। लेकिन आज भी बोलोमीटर अवरक्त विकरणों का पता लगाने वाला अपनी तरह का एक महत्वपूर्ण यंत्र है।
9. इस यंत्र को ठंडा करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसकी विशेषताएं होती है कि इसको आसानी से प्रयोग किया जा सकता है।
10. बोलोमीटर का कार्य का सिद्धांत यह है कि विकिरण के अवशोषण से होने वाले तापमान परिवर्तन से बोलोमीटर के निर्माण के लिए प्रयोग किए गए पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध भी बदलता है।
11. इसी प्रतिरोध परिवर्तन के आधार पर तापमान को मापा जाता है।
12. यह यंत्र इतना संवेदनशील होता है कि इससे तापमान के 0.0001 सेल्सियस तक के अंतरों को मापा जा सकता है।
13. एक दूसरे दूसरे प्रकार के बोलोमीटर को स्पेक्ट्रम बोलोमीटर कहते हैं।
14. इसमें धातु की केवल एक ही पत्ती होती है। इसका प्रयोग विकरणों में स्पेक्ट्रम में तीव्रता का वितरण ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
15. किस यंत्र द्वारा किसी भी प्रकार के विक्रण विक्रम के तापमान को मापने में कोई असुविधा नहीं होती है। तथा इससे सरलतम रूप से तापमान का पता लग जाता है। यह यंत्र आधुनिक तकनीकी विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
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